कोई बहन नहीं ऐसी जो भाई से
न हुई होगी नाराज़ कभी
वो बहन ही है जो छुपाए रखे है
अपने भाई के राज सभी
कोई भाई नहीं होगा जो बहन पे
न हुआ होगा ग़ुस्सा कभी
वो भाई ही है जो रोते रोते बहन की
विदा करता है डोली सजी
यह रिश्ता बहन भाई का
खटीं मीठी यादों से बनता है
दुख तख़लीफ में भाई बहन के
हाथ थामे चलता है
दूर भी रहे तो भी बहन भाई को
हर वक़्त दुआएँ देती है
मुश्किल में बड़ी बहन माँ की तरह
भाई को आँचल में पनाएँ देती है
भाई बहन के लिए अकसर
कितने सपने रंगीन बुनता है
बड़ा भाई पिता की तरह बहन की
हर अच्छी बुरी बातें भी सुनता है
राखी का त्योहार इस रिश्ते को
कुछ और मज़बूत बनाता है
शिकवे गिले अगर हुए हों तो
दिलों की दूरी को मिटाता है
हर बहन और भाई आवो मिल के
आज यह क़सम खाते है
अब की राखी को हम मिल के
इक यादगार बनाते है
आज के बाद कभी किसी का
रुठना मनाना न होगा
राखी पे न आने का
कोई भी बहाना न होगा
तेरी ग़लती मेरी ग़लती
अब इस पे शिकवे गिले नहीं
त्योहार का फिर मज़ा क्या
अगर भाई बहन गले मिले नहीं
दुआयों से इक दूसरे की
झोली को अब भरना होगा
पुरानी तल्खियों को भूल के
साथ साथ आगे चलना होगा
फिर से रहबर बन के
आगे चले गा भाई
फिर से बहन कहे गी
रुक जा भाई मैं आइ
आ फिर से बचपने की
यादों को करें गें ताज़ा
तू भी मान ले बहन की बात
‘चाहत’ तू भी आ जा
न हुई होगी नाराज़ कभी
वो बहन ही है जो छुपाए रखे है
अपने भाई के राज सभी
कोई भाई नहीं होगा जो बहन पे
न हुआ होगा ग़ुस्सा कभी
वो भाई ही है जो रोते रोते बहन की
विदा करता है डोली सजी
यह रिश्ता बहन भाई का
खटीं मीठी यादों से बनता है
दुख तख़लीफ में भाई बहन के
हाथ थामे चलता है
दूर भी रहे तो भी बहन भाई को
हर वक़्त दुआएँ देती है
मुश्किल में बड़ी बहन माँ की तरह
भाई को आँचल में पनाएँ देती है
भाई बहन के लिए अकसर
कितने सपने रंगीन बुनता है
बड़ा भाई पिता की तरह बहन की
हर अच्छी बुरी बातें भी सुनता है
राखी का त्योहार इस रिश्ते को
कुछ और मज़बूत बनाता है
शिकवे गिले अगर हुए हों तो
दिलों की दूरी को मिटाता है
हर बहन और भाई आवो मिल के
आज यह क़सम खाते है
अब की राखी को हम मिल के
इक यादगार बनाते है
आज के बाद कभी किसी का
रुठना मनाना न होगा
राखी पे न आने का
कोई भी बहाना न होगा
तेरी ग़लती मेरी ग़लती
अब इस पे शिकवे गिले नहीं
त्योहार का फिर मज़ा क्या
अगर भाई बहन गले मिले नहीं
दुआयों से इक दूसरे की
झोली को अब भरना होगा
पुरानी तल्खियों को भूल के
साथ साथ आगे चलना होगा
फिर से रहबर बन के
आगे चले गा भाई
फिर से बहन कहे गी
रुक जा भाई मैं आइ
आ फिर से बचपने की
यादों को करें गें ताज़ा
तू भी मान ले बहन की बात
‘चाहत’ तू भी आ जा
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