Thursday 21 July 2016

GHAZAL: क्या क्या नहीं किया मैंने इस जीने के लिए

क्या क्या नहीं किया मैंने इस जीने के लिए
मगर दर्द और पैदा करता रहा सीने के लिए

कुछ लोगों ने रुलाए है मुझे ख़ून के आँसू
और कुछ ख़ून बहाते रहे मेरे पसीने के लिए

ऐसे भी इंसान है खाना है जिन कि ज़िन्दगी
कुछ ऐसे भी हैं जो जीते है सिर्फ़ पीने के लिए

जन्मो का प्यार सपना साथ ज़िन्दगी का कोई ना दे
प्यार बिके मिले आजकल दिन हफ़्ते महीने के लिए

दिखावा ऐसा वो भी करे के जैसा हो वो शेनशाह
जिस के पास नहीं हालात चाक गरेबाँ सीने के लिए

सारे जहाँ का बन जा सिर्फ़ इक के लिए ना जी
सूरज रोशनी नहीं देता इक महीने के लिए

पत्थर का धर्म है के ख़ुद को बदले सोने के लिए
सोना ख़ुद को नहीं बदलता किसी नगीने के लिए

सच्चाई ख़ुद्दारी ईमानदारी कोल सब छोटे लगते है
इंसान कुछ भी कर जाता है अपनो के जीने के लिए

किसी से नहीं गिला कोई जिस पे लुटाई जान
मुझे अकेले वोहि छोड़ गया है आँसू पीने के लिए

प्यार अंधा जवानी बेहरी दिल पागल होता है "चाहत"
सीधा आदमी भी कमीना बनता है दिल कमीने के लिए