Tuesday 28 May 2019

चुनाव मेरे देश का (2019)

आगे क्या होगा यह सोच डर गया हूँ मैं
चुनाव क्या हारा लगता है मर गया हूँ मैं

सुना था नेता और राजनेता में फ़र्क़ होता है
देख के नोटंकी एक टोली से जुड़ गया हूँ मैं

किस का साथ दिया मैंने कहाँ ज़मीर बेचा
यह याद कर के नज़रों से गिर गया हूँ मैं

हिन्दू मुसलमान से कब बनू गा हिंदुस्तानी
आत्मा जगी तो ख़ुद से ही लड़ गया हूँ मैं

फिर से मैंने ढूँढे लिए है जीतने के तरीक़े नये
सब जानते है पुराने वादों से मुकर गया हूँ मैं

दोगले दलबदलूँ नेताओं से ख़ूब लूटा है देश
दल कोई भी जीते हारे मन्त्री तो बन गया हूँ मैं

अच्छे दिनो की तलाश अभी भी जारी रख ले
अच्छा जो वक़्त था कहता है गुज़र गया हूँ मैं

अमीर और अमीर ग़रीब और ग़रीब होते जाते है
मैं साथ किस का दूँ दुविधा में पड़ गया हूँ मैं

धर्म पे जात पे अब तो जंग पे भी वोट माँगे गए
देश ख़ामोशी से यह कहे बदल गया हूँ मैं

स्मार्ट नगरी का पता कोई मुझे ना दे पाया
मगर मेरा गाँव यह बोले उजड़ गया हूँ मैं

टेलिविज़न पे देख देख के लड़ते हुए बुद्धिजीवी
सच्चाई कहाँ गुम है इस सोच में पड़ गया हूँ मैं

ना कोई दाग़ था ना दौलत फिर जीतता कैसे
अपनी क़ाबलियत पे लड़ा देखो हर गया हूँ मैं

अन्नदाता को अन्न के लिए मरते देख के भी
मैं उस के घर ना गया आगे बढ़ गया हूँ मैं

देश भक्ति से बड़ी नेता भक्ति युग नया है यह
ऐसा न सोच के सब ग़लत कर गया हूँ मैं

कल जिन को सर आँखों पे बिठा के पूजा था
आज छुरा ले के उन्ही के पीछे पड़ गया हूँ मैं

देश बन गया है एक बड़ी सी सर्कस ‘चाहत’
देखो अभी मैं बैठा था अभी उड़ गया हूँ मैं