Monday 27 November 2017

ऐ खुदा किसी बवफ़ा को, तु कभी बेवफ़ा न होने दे

ऐ खुदा किसी बवफ़ा को, तु कभी बेवफ़ा न होने दे
किसी दिल को दर्द न देना, किसी आँख को न रोने दे

यह प्यार है इबादत की तरह, चाहने वाले तेरे ख़ास हों
हर क़दम तु इन का साथ दे, कभी भी न यह निराश हों
इन की मुश्किलें आसान कर, इन को न परेशान कर
हर प्यार करने वाले को सदा, सुख चेन से तु सोने दे
किसी दिल को दर्द न देना किसी ...............,....,

और कुछ न यह चाहें तुझ से, बस इक साथ ऐतबार का
जो गिरते हुए सम्भाले इन को, वो इक हाथ ऐतबार का
ख़्वाहिशें तु इन की पूरी कर, कभी न इन में तु दूरी कर
सासों की माला के अंदर इने, रंगीन सपने तु पिरोने दे
किसी दिल को दर्द न देना किसी ...............,....,

किसी चाहने वाले की कभी दर्द से न मुलाक़ात हो
सकूँ चैन से यह जिएँ ख़ुशियों का सदा ही साथ हो
हर सपना हक़ीक़त में बदले कुछ ऐसा खुदा तु कर दे
उम्मीद अरमान ख़्वाहिश आस, कुछ ऐसे इने खिलोने दे
किसी दिल को दर्द न देना किसी ...............,....,

जब दुनिया सताती है इन को, फिर आते हैं यह दर तेरे
अगर इन का दिल टूटा कभी, तो इल्ज़ाम लगें गे सर तेरे
सब वफ़ादारों की तु बिगड़ी बना,किसी को भी कभी न सता
सारी दुनिया में प्यार फले फूलें, तु बीज प्यार के बोहने दे
किसी दिल को दर्द न देना किसी ...............,....,

कोई बेवफ़ा जब हो जाए तो घर बरबाद होते है
बहुत नाज़ुक हालात दिल के जुदाई के बाद होते है
कोई क़सम वादा न टूटे चाहने वाले कभी न निकले झूठे
सारी कायनात को तू प्यार दे सबको वफ़ादार होने दे
किसी दिल को दर्द न देना किसी ...............,....,

मैंने भी प्यार किया है, इक नादान सी प्यारी सूरत से
तुम से ज़्यादा मैं प्यार करूँ, अब जीने की ज़रूरत से
हम दोनो से सभी अरमान को, रोकना न अपनी उड़नो को
“चाहत” हम दोनो की अपनी अलग दुनिया में खोने दे 
किसी दिल को दर्द न देना किसी ...............,....,

Thursday 16 November 2017

बुझा चिराग़

दर्द बन के तेरा प्यार दिल में उठता है
सुबह शाम यह तड़पता है दुखता है
आँसू बन के छलकता है आँखों से 
आह बन के हाटों पे आ के रुकता है

मेरे चेहरे से तेरी कहानी लोग पढ़ते है
और जान लेते है दिल शेर कैसे लिखता है
मेरी बर्बादियों के क़िस्से सुन सुन के
पता चलता है के प्यार क्यों बिकता है 

लोग पूछते हैं तेरे बाद उस का क्या होगा
तेरे इशारों पे जो रुकता और चलता है 
धोखे खा के महोबत में यह जाना “चाहत”
बुझा चिराग़ कहाँ बार बार जलता है

Tuesday 14 November 2017

तेरा चेहरा: तेरी याद



Thursday 2 November 2017

तुम छोड़ गई हो पर अपनी जुदाई कभी न होगी

तुम छोड़ गई हो पर अपनी जुदाई कभी न होगी
तेरी यादें हैं साथ मेरे तन्हाई कभी न होगी

याद तुझको भी रहे गी कुछ मेहरबानियाँ मेरी
तुम कर गई पर मुझसे बेवफ़ाई कभी न होगी

यादों में सदा रहो गे ख़यालों से न जावो गे
प्यार के पत्थरों पे जम्मी काई कभी न होगी

टूटा है मगर यह तूजे याद कर न पाए 
मेरे दिल की दोस्त इतनी तबाई कभी न होगी

तु बेवफ़ा हो गई है बस मैं ही जानता हूँ
क़सम है मुझसे तेरी रुशवाई कभी न होगी

किसी के भी साथ रह ले किसी पे भी लुटा अदाएँ
दावा मगर है मेरा तु पराई कभी न होगी

तु लौट आए गी इक दिन यक़ीं है अब भी मुझको
तेरे बिना न सजें गी महफ़िल शहनाई कभी न होगी

तु बदल गई है और तेरा दिल भर गया है मुझे से
पर मेरे प्यार की कम फिर भी गहराई कभी न होगी

इल्ज़ाम बेवफ़ाई का तु मेरे सर पे लगा देना
देनी पड़े गी तुझ को अपनी सफ़ाई कभी न होगी

तू साँचे में डली हो रूह में समाई हो कब से
मेरे जिस्म से दूर तेरी परछाईं कभी न होगी


धोखा दिया है मुझको तोड़ा है दिल भी तूने
पर “चाहत” मेरे मुँह से तेरी बुराई कभी नं होगी