Wednesday 14 October 2015

इक ज़माना हो गया है, दिल की बात लिखे

इक ज़माना हो गया हैदिल की बात लिखे
यूँ तो हम ने क़िस्से कितनेसारी रात लिखे
दुखूँ की तरह वो भी कभी हो पाये ना ख़त्म
खुदा अपने नसीब में इकऐसी मुलाक़ात लिखे
दुख दर्द ज़िंदगी के सारे हँस के सह लूँगा मै
मेरे नसीब में क़िस्मतअगर तेरा साथ लिखे
ख़ामोशी उस की बोलती है फिर भी यह दिल कहे
अपनी नज़रों से मेरे चेहरा पेवो कोई तो बात लिखे
प्यार माँग के शायद हमने कर दिया है बड़ा जुर्म
जवाब एक और लोगों नेकितने सवालात लिखे
कैसे जीते गे  दोस्त हम ज़िन्दगी की बाज़ी
बरसूँ से अकेले चल रहे हैंमाथे पे मात लिखे
इन्तज़ार है उस दिन का मुझे जब मेरे नाम के सामने
मेरा धर्म का ज़िक्र  करे कोईना मेरी जात लिखे
इतना चाहा है तूजे और इतनी सी ख़्वाहिश है "चाहत"
के कोरे काग़ज़ पे मेरा नामकोई तेरे साथ लिखे