इक ज़माना हो गया है, दिल की बात लिखे
यूँ तो हम ने क़िस्से कितने, सारी रात लिखे
दुखूँ की तरह वो भी कभी हो पाये ना ख़त्म
खुदा अपने नसीब में इक, ऐसी मुलाक़ात लिखे
दुख दर्द ज़िंदगी के सारे हँस के सह लूँगा मै
मेरे नसीब में क़िस्मत, अगर तेरा साथ लिखे
ख़ामोशी उस की बोलती है फिर भी यह दिल कहे
अपनी नज़रों से मेरे चेहरा पे, वो कोई तो बात लिखे
प्यार माँग के शायद हमने कर दिया है बड़ा जुर्म
जवाब एक और लोगों ने, कितने सवालात लिखे
कैसे जीते गे ऐ दोस्त हम ज़िन्दगी की बाज़ी
बरसूँ से अकेले चल रहे हैं, माथे पे मात लिखे
इन्तज़ार है उस दिन का मुझे जब मेरे नाम के सामने
मेरा धर्म का ज़िक्र न करे कोई, ना मेरी जात लिखे
इतना चाहा है तूजे और इतनी सी ख़्वाहिश है "चाहत"
के कोरे काग़ज़ पे मेरा नाम, कोई तेरे साथ लिखे
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