Monday 4 January 2016

GHAZAL: कैसे बताऊँ के हैं कैसे, अब हालात मेरे दिल के

कैसे बताऊँ के हैं कैसेअब हालात मेरे दिल के
तुझ को लगें गे मुश्किलसवालात मेरे दिल के
इक तेरा ही दोष होता, तो तुझको सज़ा मैं देता
हर दोस्त ने किये हैं ज़ख़्मीजज़्बात मेरे दिल के
घेर क्या समजे गें मुझे, जब बरसूँ साथ रह के भी
तुम से ही  मिल सकें हैंख़यालात मेरे दिल के
कितनी अजीब कहानी है, दोस्त तेरे मेरे रिस्ते की 
तूजे छोड़ के सब को पता हैंमालुमात मेरे दिल के
दिल का अमीर था मैंपर अब कुछ भी नहीं बचा है
महोबत ने बड़ा दिए हैंअख़राजात मेरे दिल के
दोस्त क्या दुश्मन  भी, मेरी जाहनत के क़ायल थे  
पर वोहि बदला जिस ने देखे थेक़रामात मेरे दिल के
प्यार भी लूट गया हैऔर अब दर्द भी नहीं है
अब कोई रहा नहीं जोचले साथ मेरे दिल के 
उम्र भर के साथ की चाह थींपर लम्हे भी  हाथ आए
कोई और ले गया क्योंदिन रात मेरे दिल के
"चाहतमुझ में ही कमी है कोईसारी उम्र सीवाए तेरे 
किसी दूसरे से बन  पाएतालुकात मेरे दिल के

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