कैसे बताऊँ के हैं कैसे, अब हालात मेरे दिल के
तुझ को लगें गे मुश्किल, सवालात मेरे दिल के
इक तेरा ही दोष होता, तो तुझको सज़ा मैं देता
हर दोस्त ने किये हैं ज़ख़्मी, जज़्बात मेरे दिल के
घेर क्या समजे गें मुझे, जब बरसूँ साथ रह के भी
तुम से ही न मिल सकें हैं, ख़यालात मेरे दिल के
कितनी अजीब कहानी है, दोस्त तेरे मेरे रिस्ते की
तूजे छोड़ के सब को पता हैं, मालुमात मेरे दिल के
दिल का अमीर था मैं, पर अब कुछ भी नहीं बचा है
महोबत ने बड़ा दिए हैं, अख़राजात मेरे दिल के
दोस्त क्या दुश्मन भी, मेरी जाहनत के क़ायल थे
पर वोहि बदला जिस ने देखे थे, क़रामात मेरे दिल के
प्यार भी लूट गया है, और अब दर्द भी नहीं है
अब कोई रहा नहीं जो, चले साथ मेरे दिल के
उम्र भर के साथ की चाह थीं, पर लम्हे भी न हाथ आए
कोई और ले गया क्यों, दिन रात मेरे दिल के
"चाहत" मुझ में ही कमी है कोई, सारी उम्र सीवाए तेरे
किसी दूसरे से बन न पाए, तालुकात मेरे दिल के
No comments:
Post a Comment