Saturday 9 January 2016

सिपाही हुवा शहीद

मैं भी था किसी माँ का बेटाकिसी बहन का भाई
मेरे साथ भी चलती रही माँ बाप की परछाईं
फिर भी मैं बच  सका फिर भी मुझे मौत आयीं
चलो अच्छा हूवा यह ज़िन्दगी देश के काम तो आयी

माना के आज देश पे मैं क़ुर्बान हो गया हूँ
सब की नज़र में अचानक ही महान हो गया हूँ
देश की ख़ातिर फिर से मैंने जान है लुटाई 
पूरी कर दी मैंने जो क़सम थी कभी खाई

मैंने जान लुटाई है भारत माँ की ख़ातिर
मैंने  जान लुटाई है तुमारी जाँ की ख़ातिर
मैं मरा हूँ क्यों के देश को और भी जीना है
पीठ  दिखाई मैंनेकिया आगे सीना है

कब तक याद करो गे आप मेरी यह साहादत
बुरी घटनाए भूल जाने की इंसान की है आदत
दो चार दिन तक आप भी करो गे मेरी चर्चा
फिर किसी पुरानी ख़बर का बन जावूँ गा मैं पर्चा

तुम फिर से अपने अपने काम में लग जावो गे
मेरी कहानी को भी वक़्त के साथ भूल जावो गे
तुम क्यों जानो मेरे बाद परिवार का क्या होगा 
बने या लुटे गा मेरे संसार का क्या होगा

मैं तिरंगे में लिपटा हूँ मेरे अपनु को फकर होगा
कल सब भूल जाएँ गे मुझे मेरा ज़िक्र होगा
हकूमत मुझे दे देगी बहादुरी के बड़े तमके 
पर किस को सुनावु मैं शिकवे गिले अपने मन के

आज रो लो फिर कभी आँसू  बहाना
बदल दो अब जो इतिहास था पुराना
जाया  जाने देना मेरी यह क़ुरबानी
कभी फिर  लिखी जाए ऐसी कोई कहानी

मुझे अपनी कहानी ख़ुद ही बनाने दो
जब भी ललकारे दुश्मन सामने जाने दो
मैं लड़ूँ कैसे कब लड़ूँ यह मेरा फ़ेसला हो
मैं तब तक लड़ूँ जब तक जाँ हो होंसला हो

मुझे लड़ने के लिए नहीं किसी आदेश की ज़रूरत
मुझे देश पे ही मरना है जब भी पड़े ज़रूरत
आदेश आते आते जो वक़त होता है जाया
हम मर के ही जीतते है यह है उस की माया

बरसूँ से बनाये हुवे ऐसे क़ानून बदल डालो
जो मुझे रोकें मुझे ऐसी ज़ंजीरूँ से निकालो
मुझे आदेश दो मैं आर पार की लड़ाई लड़ लू 
किसे जीना है किसे मरना है यह फ़ेसला कर लूँ

आदेश देना वाला छोटा बड़ा गोरा या काला हो
लेकिन वो हमेशा ही कोई वरदीवाला हो
नेताओं ने अक्सर ग़लत फ़ेसले लिये है
देश के साथ हम को भी ज़ख़्म दीये है

सरहद पे अगर मरता तो कुछ और बात होती
या दूसरे के घर में उसे मरता तो और बात होती
अपने घर में इस तरह मरना क्यों मेरी मजबूरी है
देश का बाल  बाँका हो यह भी ज़रूरी है

अब इंदिरा नहीं कोई जो ले सके यह फ़ेसला
के फिर से कर दो पाकिस्तान का और एक टुकरा
पाकिस्तान की तरफ़ बदल दो अब अपनी नीति
मेरी शहादत पे  करो तुम लोग राजनीति

दोस्ती या दुस्मनी इस का पक्का फ़ेसला हो
मिल जुल के रहना है निकालो जो रास्ता हो
शान्ति का कोई विकल्प नहीं सब जानते है "चाहत"
पर यह तह हो के ऐसा दुबारा  हादसा हो







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