मैं भी था किसी माँ का बेटा, किसी बहन का भाई
मेरे साथ भी चलती रही माँ बाप की परछाईं
फिर भी मैं बच न सका फिर भी मुझे मौत आयीं
चलो अच्छा हूवा यह ज़िन्दगी देश के काम तो आयी
माना के आज देश पे मैं क़ुर्बान हो गया हूँ
सब की नज़र में अचानक ही महान हो गया हूँ
देश की ख़ातिर फिर से मैंने जान है लुटाई
पूरी कर दी मैंने जो क़सम थी कभी खाई
मैंने जान लुटाई है भारत माँ की ख़ातिर
मैंने जान लुटाई है तुमारी जाँ की ख़ातिर
मैं मरा हूँ क्यों के देश को और भी जीना है
पीठ न दिखाई मैंने, किया आगे सीना है
कब तक याद करो गे आप मेरी यह साहादत
बुरी घटनाए भूल जाने की इंसान की है आदत
दो चार दिन तक आप भी करो गे मेरी चर्चा
फिर किसी पुरानी ख़बर का बन जावूँ गा मैं पर्चा
तुम फिर से अपने अपने काम में लग जावो गे
मेरी कहानी को भी वक़्त के साथ भूल जावो गे
तुम क्यों जानो मेरे बाद परिवार का क्या होगा
बने या लुटे गा मेरे संसार का क्या होगा
मैं तिरंगे में लिपटा हूँ मेरे अपनु को फकर होगा
कल सब भूल जाएँ गे मुझे, न मेरा ज़िक्र होगा
हकूमत मुझे दे देगी बहादुरी के बड़े तमके
पर किस को सुनावु मैं शिकवे गिले अपने मन के
आज रो लो फिर कभी आँसू न बहाना
बदल दो अब जो इतिहास था पुराना
जाया न जाने देना मेरी यह क़ुरबानी
कभी फिर न लिखी जाए ऐसी कोई कहानी
मुझे अपनी कहानी ख़ुद ही बनाने दो
जब भी ललकारे दुश्मन सामने जाने दो
मैं लड़ूँ कैसे कब लड़ूँ यह मेरा फ़ेसला हो
मैं तब तक लड़ूँ जब तक जाँ हो होंसला हो
मुझे लड़ने के लिए नहीं किसी आदेश की ज़रूरत
मुझे देश पे ही मरना है जब भी पड़े ज़रूरत
आदेश आते आते जो वक़त होता है जाया
हम मर के ही जीतते है यह है उस की माया
बरसूँ से बनाये हुवे ऐसे क़ानून बदल डालो
जो मुझे रोकें मुझे ऐसी ज़ंजीरूँ से निकालो
मुझे आदेश दो मैं आर पार की लड़ाई लड़ लू
किसे जीना है किसे मरना है यह फ़ेसला कर लूँ
आदेश देना वाला छोटा बड़ा गोरा या काला हो
लेकिन वो हमेशा ही कोई वरदीवाला हो
नेताओं ने अक्सर ग़लत फ़ेसले लिये है
देश के साथ हम को भी ज़ख़्म दीये है
सरहद पे अगर मरता तो कुछ और बात होती
या दूसरे के घर में उसे मरता तो और बात होती
अपने घर में इस तरह मरना क्यों मेरी मजबूरी है
देश का बाल न बाँका हो यह भी ज़रूरी है
अब इंदिरा नहीं कोई जो ले सके यह फ़ेसला
के फिर से कर दो पाकिस्तान का और एक टुकरा
पाकिस्तान की तरफ़ बदल दो अब अपनी नीति
मेरी शहादत पे न करो तुम लोग राजनीति
दोस्ती या दुस्मनी इस का पक्का फ़ेसला हो
मिल जुल के रहना है निकालो जो रास्ता हो
शान्ति का कोई विकल्प नहीं सब जानते है "चाहत"
पर यह तह हो के ऐसा दुबारा न हादसा हो
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