Friday 8 September 2017

हिंदी बस हम से थोड़ा प्यार मानती है

हिंदी हम से कुछ और नहीं बस प्यार माँगती है
इसे सीने से लगा लो तोड़ा दुलार माँगती है
यह बोली भी बनी है इस ने साहित्य भी दिया है
हम कभी चुका न पाएँ गे जो ऐशाँ इस ने किया है
जो इस से जुड़ जाये वो दिल का तार माँगती है
हिंदी बस हम से थोड़ा प्यार मानती है

अलग अलग जगह के लोगों को हिंदी जोड़ती है
जो अपनाये इसे उस पे अपनी छाप छोड़ती है
यह कब दिलों के बीच में दीवार माँगती है
हिंदी बस हम से थोड़ा प्यार मानती है

हर भाषा की यह सहेली वो ओढ़िया हो या मलयाली
इस ने अपनी गोद में है बरसों से उर्दू पाली 
यह साथ चलना चाहती है नहीं तकरार माँगती है 
हिंदी बस हम से थोड़ा प्यार मानती है
एक दिन एक पखवाड़ा से न सेवा इस की होगी
उस से बहुत काम आए गो जब यह जिस की होगी
इस दिल से अपना लो यही बार बार माँगती है
हिंदी बस हम से थोड़ा प्यार मानती है

यह ख़ुद की रक्षा करते करते अब ऊभ सी गयी है
क्यों इंग्लिश के दरया में यह डूब सी गयी है
जो इस का पक्का घड़ा बना दे वो कुम्हार माँगती है
हिंदी बस हम से थोड़ा प्यार मानती है

हिंदी में काम करो चाहे हस्ताक्षर ही कर लो
हिंदी की गागर में अपने हिस्से की बूँद भर लो
बस इतना सा सहयोग हम से सरकार माँगती है
हिंदी बस हम से थोड़ा प्यार मानती है

बातें बड़ी बड़ी होती है पर दिल से क्यों नहीं होती
अपने हिंदुस्तान में ही क्यों मांध है हिंदी की ज्योति
चाहत अपने हक़ के लिए अब यह चमत्कार माँगती है
हिंदी बस हम से थोड़ा प्यार मानती है

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